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शहीद हेमू कालाणी की भाभी कमला कालाणी को छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत द्वारा श्रद्धा सुमन....

सनातन वैदिक धर्म सतयुग से भारत की आत्मा, कुछ सदियों से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे नष्ट-भ्रष्ट करने का षडयंत्र चल रहा : साईं मसन्द 

देशी-विदेशी षडयंत्रों में फंसा आम भारतीय अब असली-नकली शंकाराचार्य नहीं पहचान पा रहा

रायपुर अमर शहीद हेमू कालाणी की भाभी  श्रीमती कमला टेकचंद कालाणी का गत रविवार को चेम्बूर (मुम्बई) स्थित उनके निवास पर ८६ वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने पिछले २ सितम्बर को ही रायपुर निवासी सिंधी समाज के प्रखर संत, देश के शंकराचार्यों के नेतृत्व में गठित अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू संगठन परम धर्म संसद १००८ के संगठन मंत्री साईं जलकुमार मसन्द साहिब द्वारा बोरीवली मुम्बई में जगतगुरू शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानन्द महाराज के साथ मुम्बई निवासी विख्यात सिंधी संतों एवं सामाजिक नेताओं की आयोजित बैठक में भाग लिया था। साईं मसन्द साहिब की पहल पर पूज्य छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत द्वारा तेलीबांधा स्थित अपने कार्यालय में स्व. कमला कालाणी के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर संत बाबा मुरलीधर उदासी, पंचायत के अध्यक्ष महेश दर्याणी, कार्यकारी अध्यक्ष महेश रोहड़ा, महासचिव बलराम आहूजा, सहसचिव अमर चंदनाणी, सह कोषाध्यक्ष तनेश आहूजा, वरिष्ठ सलाहकार प्रहलाद शादीजा, प्रचार सचिव गौरव मध्याणी, युवा समिति के अध्यक्ष विकास रूपरेला, भरतीय सिंधु सभा के प्रदेश अध्यक्ष लद्धाराम नैनवाणी, महासचिव मुरलीधर शादीजा, मनोहर लाल ठकराणी, विनोद संतवाणी आदि ने स्व. कमला कालाणी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किये। आरंभ में साईं मसन्द साहिब ने कालाणी परिवार के यशस्वी जीवन की विस्तृत जानकारी दी और समाज के नेताओं को देश , धर्म और जगत के कल्याण का ऊंचा सोच रखने का आव्हान किया।

उन्होंने बताया कि सतयुग से अब तक हमारा सनातन वैदिक ज्ञान व धर्म ही भारत की समृद्धि और खुशहाली का मुख्य आधार रहा है। किन्तु कुछ सदियों से राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के सनातन ज्ञान को नष्ट करने का निरंतर षडयंत्र चल रहा है। विदेशी ताकतें इसे नष्ट-भ्रष्ट करने हेतु खरबों रुपयों की अनेक योजनाओं पर काम कर रही हैं। दुर्भाग्यवश वर्तमान काल में भारत के लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दल भी अपने तुच्छ स्वार्थों के कारण ऐसे षड्यंत्रों में शामिल हैं। करीब ढाई हज़ार वर्षों से भारत में स्थापित चार मठों के पूज्यपाद जगतगुरू शंकराचार्य वैदिक शास्त्रों के आधार पर सनातन ज्ञान और धर्म के रक्षक व प्रवर्तक का दायित्व निभा रहे हैं। किन्तु करीब पच्चीस-तीस वर्षों से देश के लगभग सभी बड़े राजनीतिक दलों ने शंकराचार्यों की पहचान भ्रमित करने देश में ८० नकली शंकराचार्य खड़े कर दिए हैं।
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कुछ वर्षों से तो केन्द्र की सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ कैबिनेट मंत्री देश-विदेश में पुरी के शंकराचार्य के रूप में असली शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद महाराज के बजाय एक नकली शंकराचार्य, जिसका ओड़ीसा न्यायालय ने पुरी क्षेत्र में प्रवेश तक प्रतिबंधित कर रखा है, को पुरी के शंकराचार्य के रूप में अपने साथ लेकर जाते हैं। इसी तरह ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानन्द महाराज के बजाय अपनी शासकीय सेवा को छुपाकर वेतन लेते रहे एक शिक्षक, जिसके लिए भी उच्च न्यायालय ने उसे शंकराचार्य न कहे जाने का आदेश तक दे रखा है, को अपने आयोजनों में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य के रूप में लगातार पेश करते आ रहे हैं। इससे बेचारा आम भारतीय असली-नकली शंकराचार्यों की पहचान ही नहीं कर पा रहा है।
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