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छत्तीसगढ़ में शिक्षकों का "स्कूल छोड़ो" आंदोलन: 1.8 लाख शिक्षक सड़कों पर उतरेंगे..|@ND24TV|News..छत्तीसगढ़ |.

(2 जुलाई, 2025) छत्तीसगढ़ में 1 लाख 80 हज़ार शिक्षक अपनी लंबित मांगों को लेकर सड़कों पर उतरेंगे। ये शिक्षक शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़ के बैनर तले प्रदेश के 146 विकासखंडों में धरना प्रदर्शन करेंगे।

शिक्षक साझा मंच ने सरकार से कई महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं, जिनमें शामिल हैं:

क्रमोन्नति वेतनमान और एरियर्स राशि: सूरजपुर जिले की शिक्षिका सोना साहू को उच्च न्यायालय बिलासपुर के आदेश पर प्रथम नियुक्ति तिथि से क्रमोन्नति वेतनमान और पूरी एरियर्स राशि का भुगतान किया गया है। शिक्षक साझा मंच की मांग है कि सभी पात्र शिक्षकों को इसी तर्ज पर क्रमोन्नति वेतनमान का जनरल ऑर्डर जारी किया जाए, जिससे 1 लाख से अधिक शिक्षकों को हो रहे आर्थिक नुकसान (प्रति माह ₹15,000 से ₹20,000) को रोका जा सके।

प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना और पुरानी पेंशन बहाली: शिक्षकों की नियुक्ति 1995 और 1998 से हुई है, लेकिन उनकी सेवा गणना संविलियन तिथि 2018 से की जा रही है। इससे शिक्षकों को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है। संगठन की मांग है कि शिक्षकों की प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना कर पुरानी पेंशन बहाली सहित सभी लाभ दिए जाएं।

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पदोन्नति में डी.एड. की मान्यता: डी.एड. योग्यताधारी शिक्षकों को भी व्याख्याता और प्राचार्य के पदों पर पदोन्नति दी जाए।

युक्तियुक्तिकरण रद्द कर 2008 का सेटअप लागू करना: वर्तमान में हुए युक्तियुक्तिकरण में 2008 के सेटअप का पालन नहीं किया गया है। प्राथमिक शालाओं में शिक्षकों की संख्या 3 से घटाकर 2 कर दी गई है, और मिडिल, हाई तथा हायर सेकेंडरी स्कूलों में भी एक-एक शिक्षक की कटौती की गई है, जिससे लगभग 57,000 शिक्षकों के पद समाप्त हो गए हैं। शिक्षक इस युक्तियुक्तिकरण को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

आंदोलन की पृष्ठभूमि और चेतावनी

इस बार प्रदेश के 23 शिक्षक संगठन एक साथ आकर शिक्षक साझा मंच का गठन किया है, जिससे यह आंदोलन काफी बड़ा और संगठित होने की उम्मीद है। इससे पहले भी शिक्षकों ने राजधानी में जोरदार प्रदर्शन किया था और 15 से 30 जून तक काली पट्टी लगाकर स्कूलों में विरोध जताया था।

शिक्षक साझा मंच के प्रदेश संयोजक मंडल ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांगों और हड़ताल को गंभीरता से नहीं लेती है, तो प्रदेश भर के सभी स्कूलों में तालेबंदी कर शिक्षक अनिश्चितकालीन आंदोलन पर चले जाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

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