छत्तीसगढ़ के किसानों का इंतज़ार खत्म हुआ! मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप, राज्य भर में 15 नवंबर से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी विधिवत शुरू हो गई है। किसान इस वर्ष के खरीफ सत्र को लेकर विशेष रूप से उत्साहित हैं, क्योंकि राज्य सरकार ने धान का समर्थन मूल्य ऐतिहासिक रूप से ₹3100 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। यह समर्थन मूल्य पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है, जिसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक नई जान फूंक दी है। किसान अपने खेतों-खलिहानों में धान की फसल काटने और मिसाई (थ्रेसिंग) के काम में तेजी से जुटे हुए हैं, ताकि वे जल्द से जल्द अपनी उपज को समितियों में ले जा सकें।
प्रशासन की व्यापक तैयारी
धान खरीदी की यह प्रक्रिया 31 जनवरी 2026 तक जारी रहेगी। इस बड़े खरीफ विपणन सत्र को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए, प्रशासन ने भी व्यापक स्तर पर तैयारियां की हैं।
* बारदाने की उपलब्धता: समिति केंद्रों पर बारदाने (जूट बैग्स) की पर्याप्त व्यवस्था की गई है, ताकि खरीदी में किसी प्रकार की रुकावट न आए।
* समुचित सुविधाएं: किसानों को लंबी लाइनों और असुविधाओं से बचाने के लिए छाया, पेयजल और टोकन वितरण की समुचित व्यवस्था की जा रही है।
* तकनीकी तैयारी: खरीदी केंद्रों पर नमी मापक यंत्रों को दुरुस्त किया गया है, और ऑनलाइन पंजीयन तथा भुगतान की प्रक्रिया को सुगम बनाने पर जोर दिया गया है।
प्रशासन का दावा है कि इस वर्ष की बेहतर व्यवस्थाओं से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राज्य के हर पंजीकृत किसान को अपनी फसल का उचित दाम और पूरा भुगतान समय पर मिल सके।
हड़ताल का साया: ग्रामीण अंचल में चिंता
हालांकि, इस उत्साह और बेहतर पैदावार के बीच एक बड़ी समस्या और चिंता का विषय भी सामने आया है। छत्तीसगढ़ के कई ग्रामीण अंचल और जिलों में अभी भी सहकारी मंडी समितियों और संबंधित कर्मचारियों की हड़ताल जारी है।
इस हड़ताल के कारण, खरीदी के पहले दिन भी कई ग्रामीण उपार्जन केंद्रों में सुविधा व्यवस्था नदारद दिखी। कामकाज पूरी तरह से ठप्प रहा, जिससे धान लेकर पहुंचे किसान निराश होकर लौटने को मजबूर हुए।
* उत्पादकों की घबराहट: ग्रामीण क्षेत्रों के किसान घबराए हुए हैं। उनकी सबसे बड़ी चिंता यह है कि यदि हड़ताल जल्द खत्म नहीं हुई, तो वे अपनी उपज कब और कहाँ बेचेंगे। फसल कटाई के बाद खुले में पड़ी रहने वाली धान को मौसम की मार, चोरी, और नमी से नुकसान होने का खतरा है।
* मांग: किसान संगठनों ने सरकार और हड़ताली कर्मचारियों से तुरंत बातचीत कर गतिरोध समाप्त करने की अपील की है, ताकि धान खरीदी का कार्य बिना रुकावट चलता रहे और किसान अपनी फसल का उचित दाम समय पर पा सकें।
₹3100 प्रति क्विंटल के उच्च समर्थन मूल्य ने छत्तीसगढ़ के किसानों में खुशी की लहर दौड़ा दी है, और वे अपनी अच्छी पैदावार को भुनाने के लिए तैयार हैं। प्रशासन भी बेहतर व्यवस्थाओं का दावा कर रहा है। लेकिन, मंडी समितियों की हड़ताल ने इस पूरी प्रक्रिया पर एक प्रश्नचिह्न लगा दिया है। अब देखना यह है कि राज्य सरकार इस गतिरोध को कब तक तोड़ पाती है और प्रदेश के लाखों किसानों को राहत प्रदान करती है।
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